मैंने कहा – साल क्या, बस एक सीमारेखा ही तो है,
चलते चलते लांघ जायेंगे…
मन ने कहा – बात तो ठीक है, बस लांघते लांघते याद कर लेना –
वह पल जब पिछली सीमा पार की थी,
वह दौर जो गुज़रे हैं तब और अब के बीच,
वह ख्व़ाब जो हकीकत बने, और वो जो बनते बनते ना बने,
वह दिल जो जोड़े, और वह चंद जो टूट गए (या तोड़े?),
वह फ़ासले जो मिट गए, वह नए जो बने (या बनाए?),
वह वादे जो निभाए, और वह जो ना निभे,
वह मंज़र जो आँखों ने देखे, और वह जो मन ने संजोए,
वह तूफां जो आये, और हारके चले गए,
और वह जो आके गए पर ज़हन ने कभी ना छोड़े |
मैंने मुड़के देखा, और मन से कहा – सही कहा तूने, मेरे मन,
पिछली और इस सीमा के बीच फासला था गहरा
बहुत कुछ गुज़रा इन रेखाओं के बीच |
बहुत कुछ घटा, कुछ कुछ छूटा |
थोडा कुछ खोया, बहुत कुछ पाया |
थोडा कुछ कमाया, थोड़ा कुछ गँवाया |
इसी कुछ-कुछ ने ही तो लेकिन इस फ़ासले को ज़िन्दगी बनाया !
जब तक हाथों में यह हाथ है और होठों पर है मुस्कान,
तब तक यह ज़िन्दगी ज़िन्दगी है, वरना फ़ासलों से तो भरा है जहान!
इस साथ को रख बरक़रार, इस मुस्कान को रख शिद्दत से,
फ़ासला बन जाएगा सफर, और सफर गुजरेगा मुहब्बत से |
मन मुस्काया, में मुसकाई, मुस्कुराते सामने देखा,
हँसते हँसते उठा क़दम, और लंघ गयी समय की वह रेखा …
Musingly Yours.
Beautiful written poem. Simple essence well captured.
Thank you!
Lovely….. It’s beautiful…
Thanks!
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Thanks!
Super!
🙂
बोहोत ख़ूब !! 👌🏻🌟
Thanks!
Intriguing.
Thanks
Wow… This is so, so nice, Vaishali. Special love for this post.
THanks, Swati.
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Very Happy reading it and had a smile in my mind- Mann and glow on my face and my heart Loved it 👏👏👏👏
Thanks! 🙂
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Lovely poem….the thought flow is so beautiful and the explanation of life’s meaning. Great stuff!
Thanks Aparna
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